प्रत्येक माता पिता की यह चाह होती हैे कि उसकी संतान खूब पढलिख कर अच्छा सम्माजनक पद प्राप्त कर सुखी रहे।
ऐसे ही मेरे एक मित्र अपनी पत्नि के साथ मुझसे ज्योतिषिय परामर्श लेने आए। उन्होने मुझेे बताया कि वे अपने बेटेे को (द्वितीय संतान) वर्तमान विद्यालय से निकाल कर सैनिक स्कूल की तैयारी कराने वाली कोचिंग मेें प्रवेश दिलाना चाहते है। वे जानना चाहते हैं कि सैनिक स्कूल मेेें बेटे को प्रवेश मिलेगा या नहीं? कहीं ऐसा ना हो, इस स्कूल से भी निकाले, कोचिंग भी कराये और सैनिक स्कूल मेें प्रवेश मिले ही नहीं, तो फीस भी बेकार जाये और बेटे का एक साल भी बर्बाद हो जाये।
सही समय पर यदि ज्योतिषिय मार्गदर्शन प्राप्त कर लिया जावे तो पैसा और समय दोनो बचाए जा सकते है। बच्चों को कौनसे विषय दिलाए जाये, किस स्कूल या काॅलेज में प्रवेश दिलाया जाये आदि अनेक चिन्ताएं माता पिता को सताने लगती हैं तो ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से भी एक बहुत अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता हैं। आईए जाने इस उदाहरण से ---
प्रश्नकर्ता का प्रश्न - "मेरे बेटे (द्वितीय संतान) को सैनिक विद्यालय मेें प्रवेश मिलेगा या नहीं" - एक चितिंत मॉं
ऐसे ही मेरे एक मित्र अपनी पत्नि के साथ मुझसे ज्योतिषिय परामर्श लेने आए। उन्होने मुझेे बताया कि वे अपने बेटेे को (द्वितीय संतान) वर्तमान विद्यालय से निकाल कर सैनिक स्कूल की तैयारी कराने वाली कोचिंग मेें प्रवेश दिलाना चाहते है। वे जानना चाहते हैं कि सैनिक स्कूल मेेें बेटे को प्रवेश मिलेगा या नहीं? कहीं ऐसा ना हो, इस स्कूल से भी निकाले, कोचिंग भी कराये और सैनिक स्कूल मेें प्रवेश मिले ही नहीं, तो फीस भी बेकार जाये और बेटे का एक साल भी बर्बाद हो जाये।
सही समय पर यदि ज्योतिषिय मार्गदर्शन प्राप्त कर लिया जावे तो पैसा और समय दोनो बचाए जा सकते है। बच्चों को कौनसे विषय दिलाए जाये, किस स्कूल या काॅलेज में प्रवेश दिलाया जाये आदि अनेक चिन्ताएं माता पिता को सताने लगती हैं तो ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से भी एक बहुत अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता हैं। आईए जाने इस उदाहरण से ---
प्रश्नकर्ता का प्रश्न - "मेरे बेटे (द्वितीय संतान) को सैनिक विद्यालय मेें प्रवेश मिलेगा या नहीं" - एक चितिंत मॉं
प्रश्न देखने की दिनांक 08.04.2015, समय 10.28.33 सुबह, स्थान- जयपुर
अक्षांश 26/56/45 उतर तथा रेखांश 75/44/14 पूर्व
प्रश्न के लिए लिया गया उपउपनक्षत्र स्वामी संख्या नम्बर- 1802 (शनि (वक्री)-मंगल-राहु-शुक्र)
प्रश्न समय के रूलिंग प्लेनेट्स-
लग्न- बुध-मंगल-सूर्य-गुरू (वक्री)
चन्द्रमा- मंगल-शनि (वक्री)-बुध-शुक्र
राहु- बुध-चन्द्रमा
केतु- गुरू (वक्री)-शनि (वक्री)
वार स्वामी- बुध
ग्रहों एवं भावों की स्थिति
प्रश्नकर्ता के प्रश्न की जाॅंच -
बहुत सारे प्रश्नों के जवाब जन्मपत्रिका से प्राप्त नहीं किये जा सकते, ऐसी स्थित में प्रश्न द्वारा ही कुण्डली बनाकर जवाब दिया जाना उचित रहता हैं, लेकिन प्रश्तकर्ता द्वारा प्रश्न सही किया गया है अथवा नहीं, यह जाॅच लेने के बाद ही कुण्डली का अध्ययन किया जाना चाहिए। अन्यथा विश्लेषण के बाद भविष्यवाणी गलत हो सकती हैं।
यहाॅ प्रश्तकर्ता के प्रश्न की बनाई गई कुण्डली (माॅ द्वारा पूछा गया प्रश्न) में चन्द्रमा की स्थिति देखे तो चन्द्रमा वृश्चिक राशि में 5 अंश 51 कला 23 विकला पर है। चन्द्रमा स्वंय नवम् भाव में स्थित है तथा उसकी राशि सप्तम भाव में स्थित हैं। चन्द्रमा का सप्तम भाव में स्थित होना बताता है कि प्रश्नकर्ता माॅ अपने दूसरी संतान (पुत्र) के बारे में ही प्रश्न कर रही हैं। सप्तम भाव को पुत्र की लग्न मानकर देखे तो चन्द्रमा पुत्र की कुण्डली के अनुसार तृतीय भाव में स्थित है। चतुर्थ भाव शिक्षा और तृतीय भाव वर्तमान विद्यालय से निकालकर कोचिंग में पढाने के लिए बताता हैं। चन्द्रमा शनि (वक्री)(वक्री) के नक्षत्र में स्थित है, पुत्र की कुण्डली में देखे तो वक्री शनि (वक्री) चतुर्थ भाव में स्थित है अतः हम कह सकते है कि माॅ ने अपने पुत्र के बारे में जो प्रश्न किया है, वह सही है।
क्या प्रश्नकर्ता की इच्छा की पूरी होगी ?
देखे संक्षिप्त विश्लेषण-
माॅ द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिए हमने जो कुण्डली बनाई उसमें सातवें भाव को पुत्र की लग्न मानकर जो कुण्डली प्राप्त होगी, उसका हम अध्ययन करेगें। इसमें हम चतुर्थ भाव, छटा भाव, ग्याहरवे भाव व दशा का अध्ययन करेगें।
चतुर्थ भाव - शिक्षा के लिए प्रमुख भाव
छटा भाव - प्रतियोगिता में सफलता का भाव
ग्याहरवा भाव - इच्छा पूर्ति का भाव
दशा - प्रमुख परिमाण प्राप्ति अवधि के बारे में
चतुर्थ भाव - चतुर्थ भाव का उपनक्षत्र स्वामी केतु हैं, जो कि खुद अष्टम भाव (दुख एवं नकारात्मकता) में स्थित है। केतु राशि स्वामी एवं नक्षत्र स्वामी के परिणाम भी देता है। केतु को देखे तो केतु वक्री गुरू (वक्री) के राशि एवं वक्री शनि (वक्री) के नक्षत्र में स्थित हैं। वक्री गुरू (वक्री) को देखे तो बाहरवे भाव (नकारात्मकता) में स्थित है और उसकी राशियां 5, 6, 8 भावों में स्थित है। यहाॅ छटा भाव सकारात्मक होते हुए भी पांचवा भाव उसे शून्य कर रहा है एवं अष्टम भाव स्वयं ही नकारात्मक है।
छटा भाव- छटे भाव का उपनक्षत्र स्वामी भी केतु ही है, जिसका विश्लेषण चतुर्थ भाव में किया जा चुका है।
ग्याहरवा भाव - ग्याहरवे भाव का उपनक्षत्र स्वामी बुध हैं जो कि अष्टम भाव में स्थित है। बुध की राशियां द्वितीय, ग्याहरवे तथा बाहरवे भाव में स्थित है। बुध अपने ही नक्षत्र में होने के कारण इसका जो उपनक्षत्र स्वामी होगा, वह नक्षत्र स्वामी के रूप में परिणाम देगा जो कि सूर्य हैं। सूर्य अष्टम भाव में स्थित है तथा उसकी राशि सिंह लुप्त है।
दशाएं देखे तो वक्री शनि (वक्री) की दशा चल रही है जो कि 02.09.2030 तक है तथा भुक्ति बुध की चल रही है जो कि दिनांक 16.05.2017 तक हैं। दशा स्वामी शनि (वक्री) वक्रंी होने के कारण नकारात्मकता प्रदर्शित कर रहा हैं। भुक्ति स्वामी को देखे तो अष्टम भाव में सूर्य के साथ स्थित है, इनके अंश, कला पर गौर करे तो सूर्य मीन राशि में 23 अंश 59 कला पर है जबकि बुध मीन राशि में 21 अंश 52 कला पर है। इस प्रकार यदि देखे तो सूर्य और बुध के बीच करीब 2 अंश का अन्तर है अर्थात सूर्य ने बुध को पूर्ण रूप से अस्त कर रखा है जिसके कारण बुध के परिणाम शून्य हो गए है।
उपरोक्त विश्लेषण का परिणाम -
इतनी सारी नकारात्मकता के बाद किसी माॅ को ऐसी नकारात्मक सूचना कैसे दी जाए, यह बड़ा कठिन काम है। ”मंजिल तक पहुचने के लिए बहुत रास्ते जाते है जो आपके समय व धन को बर्बाद न करे वही रास्ता चुनना चाहिए“ ऐसा कहते हुए उक्त महिला को मेरे द्वारा कहा गया कि आपके बेटे को इस स्कूल से ना निकाले क्योकि सैनिक स्कूल में उसे प्र्वेश नहीं मिल पाएगा।
प्रवेश नहीं मिलने के कारण का भी मेरे द्वारा उनसे क्राॅस चैक किया गया तो स्थिति और अधिक स्पष्ट हो गई। मैने उस महिला से पूछा कि आपका बेटा गणित विषय में कैसा है, तो उन्होने बताया कि वह गणित में ही कमजोर है और शेष सभी विषयों में ठीक है। मेरी जानकारी केे अनुसार , सैनिक स्कूूल में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा में गणित ही प्रमुख विषय होता है। बुध जो कि गणित एवं मानसिक दक्षता के लिए प्रमुख ग्रह है वह सूर्य के कारण (सूर्य से करीब 2 अंश की दूरी के कारण) प्रभावहीन हो गया है। अतः गणित में कमजोर होना भी प्रमाणित होने के कारण पूरा दृश्य साफ हो जाता है।
भविष्यवाणी की सत्यता- एक माॅ का अपने बेटे के बारे में ऐसी नकारात्मक बात सूनने के बाद नाराज होना स्वभाविक है। करीब डेढ-दो साल बाद एक दिन जब वह महिला मिली तो मैने उनके बेटे के बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि बेटे को उस स्कूल से निकालकर कोचिंग में पढाया लेकिन सैनिक स्कूल में प्रवेश नहीं मिला।
विशेष आग्रह है कि जो लोग ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते है, या तो उन्हे ज्योतिष को बिल्कुल भी नहीं मानना चाहिए और यदि मानते है तो फिर विश्वास भी करना चाहिए। उपरोक्त स्थिति में इतना अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ था, इसके बाद भी उनके द्वारा अपने बच्चे का जिस स्कूल में वह कई वर्षो से पढ रहा था, पढाई में भी सफल चल रहा था, उसे वहाॅ से हटाकर कोचिंग में पढाना और वह भी वह विषय जिसे वह बच्चा पंसद नहीं करता, पढवाना, बच्चे पर अत्याचार है। आप समझ सकते है कि उस बच्चे पर क्या बीती होगी एवं उस बच्चे का एक वर्ष भी खराब किया और धन की बर्बादी भी की।
सटीक व तर्कसंगत लेख... पढ कर अभिभूत हुआ...नमन
जवाब देंहटाएंसटीक व तर्कसंगत लेख... पढ कर अभिभूत हुआ...नमन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद....शुभकामनाएं
हटाएंWhich house is to be considered as Chief house.
जवाब देंहटाएंFourth or sixth ?
जवाब देंहटाएंप्रश्न समझ ले आपका उत्तर उसी मे है वैसे इसी लेख मे समझाया भी गया है , पुनः पढ़े
हटाएंधन्यवाद....शुभकामनाएं