मंगलवार, 26 मई 2020

मातृत्व सुख और ज्योतिष

* ज्योतिष विज्ञान का मेडिकल विज्ञान में उपयोग

मेरे एक रिश्तेदार के पडौसी की पुत्र वधु विवाहोपरान्त पहली बार गर्भवती हुई तो घर में एक खुशियों भरा माहौल था | लेकिन चौथे माह में बच्चे में विकृति का पता चला तो डॉक्टर ने गर्भपात कराने की सलाह दी जो कि उन्हें माननी पड़ी |  गर्भपात कराये जाने के बाद तो मानो उनके सभी सपने चूर चूर हो गए | "माँ होना" से बड़ा एहसास दुनिया में क्या हो सकता है ?

कुछ दिन बाद वह एक बार फिर गर्भवती हुई | पिछली घटना से वह बहुत घबराई हुयी थी एक दिन पिछली घटना का जिक्र करते हुए मुझे  कहने लगी कि आप अपनी ज्योतिष के आधार पर ही बताएं , मेरे साथ पहले जैसा तो नही हो जायेगा ? मैंने उसे अपने ज्योतिष के आधार पर देखने के तरीके को समझा दिया | फिर उसने एकाग्रता बना कर दिनांक 27 फरवरी 2011 को प्रश्न किया --


मेरे द्वारा यह दिनांक 11 मार्च 2011 को 23-14-03 बजे  जयपुर में  देखा गया | ग्रहों / भावों / दशा आदि का विवरण निम्नानुसार है -

दशा - सूर्य की दशा दिनांक 11 - 09 -2015 तक
भुक्ति - राहू की भुक्ति दिनांक 29 सितम्बर 2011 तक
अन्तरा - चन्द्रमा की    तक फिर मंगल का अन्तरा   तक गौर करें मंगल यंहा राहू के नक्षत्र में है |

यंहा निम्न विषयों पर गौर करना अति आवश्यक है -

वो जो पूछना चाह रही है क्या वह गर्भवती भी है या नही ?
वह अब होने वाले बच्चे से ही सम्बन्धित ही जानना चाहती है?
क्या कुण्डली सही बनी है ?
कुण्डली क्या क्या जानकारी देती है ?

चन्दमा खुद या उसकी राशि या वह जिस नक्षत्र में है वो नक्षत्र स्वामी या उसकी राशि सम्बन्धित भावों से सम्बन्ध बनावे तो वह महिला गर्भवती है तथा जो वह पूछ रही है वह सही है यंहा कुण्डली  में देखें चन्द्रमा खुद तीसरे भाव में स्थित है तथा उसकी एक राशि कर्क सातवें भाव में है , चन्द्रमा - सूर्य के नक्षत्र व राहू के उप नक्षत्र में स्थित है | सूर्य जो कि दशा स्वामी भी है वह भी गुरु के नक्षत्र में है गुरु की एक राशि धनु ग्यारवें (इच्छापूर्ति) व बारवें भाव में है | भुक्ति स्वामी राहू इस कुंडली में अत्यंत महत्वपूर्ण है वह स्वयं  ग्यारवें भाव (इच्छापूर्ति) में ही स्थित है राहू गुरु की राशि व केतु के नक्षत्र में होने के कारण उन भावों के परिणाम भी देगा | प्रथम भाव का उप नक्षत्र स्वामी भी राहू ही है | सभी स्थितयों का अवलोकन करें चन्द्रमा की राशि का सप्तम भाव में होना दूसरी संतान को इंगित कर रहा है एस्ट्रोलॉजी सीखने वालों के सामने यह विचार आना स्वाभाविक है चूंकि पहले एक बार गर्भपात हो चुका है तो अब जो संतान होनी है उसे पहली संतान माने या दूसरी इसके लिए उन्हें पहले तो ह्यूमन बॉडी की एनाटोमी को जानना चाहिए राहू के गुरु की राशि में होने के कारण - गुरु के खुद के द्वितीय भाव ( कुटुम्ब ) में ही होने से व उसकी एक राशि मीन भी इसी  भाव में होने तथा दूसरी ग्यारवें भाव में होने से साफ़ हो जाता है कि वह सन्तान के विषय में ही पूछ रही हैं तथा वो गर्भवती भी हैं | यंहा एक बात और विशेष है की उनके मन में पूर्व घटना भी चल रही है देखें - संतान का प्रमुख भाव में मिथुन राशि में केतु स्वयं स्थित है केतु एक गर्भपात देने वाला ग्रह है तथा मिथुन राशि स्वयं भी प्रतिबंधित राशि ही है जिसने पहली वाली घटना गर्भपात को जन्म दिया | अर्थात कुण्डली सही बनी है |

अब विश्लेषण को और अधिक विस्तार न देते हुए मूल विषय पर आते हैं जो कि उनके द्वारा पूछा गया है कि -
कुंडली के सप्तम भाव का उप नक्षत्र राहू है जो कि स्वयं ही ग्यारवें (इच्छापूर्ति) भाव में होने के कारण अबकी बार जरुर इच्छा पूरी करवा देंगे | राहू को अक्सर डरावने ग्रह के रूप में प्रचारित किया जाता है जबकि यंहा स्वस्थ सन्तान प्राप्ति में बहुत बडी भूमिका निभा रहा है दशाओं में भी भुक्ति स्वामी भी ये ही है जो कि 29 सितम्बर 2011 तक है चाही गयी जानकारी के बारे में मेरे द्वारा बताया गया कि अबकी बार कोई परेशानी नही होगी इतना बताने के बाद मुझसे उन्होंने पूछा कि संतान कब तक होगी ? जबकि अपने प्रश्न में इस बाबत कोई जानकारी नही चाही थी फिर भी मैंने राहू की भुक्ति समाप्ति वाली दिनांक 29 सितम्बर 2011 के आसपास होना बताया  बाद में अप्रेल 2011 में चिकित्सालय में अपना कार्ड बनवाया तो डॉक्टर ने भी डिलीवरी दिनांक 29 सितम्बर 2011 ही बताई देखें -


यंहा आप देखेंगे कि डॉक्टर द्वारा दी गयी डिलीवरी दिनांक मासिक धर्म के आधार पर बताई गयी है जबकि मुझे तो इसकी कोई जानकारी नही दी गयी थी मैंने दशा के आधार पर ही 29 सितम्बर 2011 के आसपास बताई थी | डॉक्टर व् मेरे द्वारा बताई गयी दिनांक निश्चित नही थी मुझे निश्चित दिनांक निकालने के लिए अभी गोचर से भी गणना करना बाकि था |

धीरे धीरे समय बीतने लगा वो प्रत्येक माह डॉक्टर के पास चेकअप आदि के लिए जाती थी | एक दिन मै सितम्बर 2011 के प्रथम सप्ताह में अपने भाई साहब के घर जा रहा था तो वो अपने घर के बाहर खड़ी थी मुझे देखकर बोली कि आपकी भविष्यवाणी गलत होने वाली है मैंने पूछा कि कैसे ? आपको अभी तक कोई तकलीफ हुई  क्या ? वो बोली - नहीं डॉक्टर  डिलीवरी दिनांक 10 अक्टूबर की बता रही है | मुझसे रहा नही गया मैंने कहा आप 29 सितम्बर 2011 भी नही पार कर पायेंगी पहले ही डिलीवरी हो जाएगी , मुझे पता था कि दिनांक 29 के बाद गुरु ग्रह की भुक्ति प्रारम्भ होगी हालाँकि गुरु जो की खुद भी सन्तान कारक ग्रह है यंहा सकारात्मक भी है लेकिन  गोचर में उन दिनों गुरु वक्री चल रहे थे | राहू या गुरु में से कौन सा ग्रह सन्तान देगा दोनों ही सन्तान के लिए सकारात्मक है लेकिन गुरु गोचर में वक्री है जबकि राहू छाया ग्रह है कृष्णमूर्ति पद्दति में छाया ग्रह को अधिक महत्व दिया जाता है | अन्तरा एवं सूर्य एवं चन्द्रमा के गोचर को देखने के बाद ( लेख के अधिक विस्तार के कारण गोचर का विश्लेषण रोक रहा हूँ ) मेरे द्वारा दिनांक 14  सितम्बर को रात्रि बारह से पहले वाले दो घंटे व बाद में दिनांक 15 आयेगी उसके प्रारम्भ के दो घंटे इस प्रकार इन चार घंटों के दौरान सन्तान हो जाएगी बता दिया गया दिनांक 14 सितम्बर 2011 को रात्री 10 बजकर 03 मिनिट पर उन्होंने एक पूर्ण स्वस्थ लड़की को जन्म दिया | इस प्रकार डिलीवरी दिनांक व समय सही पाए गये बहुत सूक्ष्म गणना से डिलीवरी के वास्तविक समय को घंटे - मिनिट भी एवं अन्य जानकारियां भी आसानी से जानी  जा सकती हैं |

विनम्र निवेदन
यह एक ज्योतिष विज्ञान का सकारात्मक उपयोग है जो कि किसी भयभीत गर्भवती महिला जिसका अपरिहार्य कारणों से पूर्व में गर्भपात कराया जा चुका हो , उसको भय मुक्त करने के लिए अच्छा उदाहरण है | स्त्रीरोग विशेषज्ञ (Gynecologist) के लिए तो ये बहुत उपयोगी है थोड़े से अभ्यास से एक अतिरिक्त टूल की तरह उपयोग किया जा सकता है |

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