* ज्योतिष विज्ञान का मेडिकल विज्ञान में उपयोग
जिन्दगी कैसी है पहेली कभी ये हंसाये कभी ये ......... बाबू मोशाय !
समय की घडी की रफ्तार उस पल क्या हो जाती है ? जब जिन्दगी मस्ती भरी हंसते हंसाते अपनी ही गति से चल रही हो तभी अचानक एक सूचना भर से सब कुछ बदल सा जाता है उस क्षण लगता है कि बस अब समय रुक जाए ...! कितना कठिन हो जाता है यह सब अपनों को कैसे बताया जाये ?
यह भी एक अजीब संयोग है कि मैंने पिछले कई वर्षों से फिल्मे नही देखी हैं इसलिए नये कलाकारों को नही पहचान पाता हूँ लेकिन एक दिन सोशल मीडिया से ही पता चला कि सोनाली बेंद्रे को अचानक खतरनाक बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है -
जीत जायेंगे हम , जीत जायेंगे हम - तू अगर संग है .........
माँ - बेटे का ये प्यार, कितना अन्तर्द्वन्द चल रहा होगा माँ के मन में कल्पना करना भी बहुत कठिन है , कैसे उसे बताया होगा अपने बारे में ? दूसरी तरफ अपने परिवार व पति का प्यार ! इस तरह की सूचना से कोई भी इन्सान गहरे सदमे में जा सकता है | लेकिन सोनाली बेंद्रे के अन्य फोटो में चेहरे से ही मुझे एक सकारात्मकता संदेश मिल रहा था कि शायद कुछ सुखद समाचार मिल सकेंगे |
मै स्वयं भावनात्मक रूप से अपने को नही रोक सका तो ज्योतिषीय आधार पर कुण्डली बना कर इनके जीवन की यात्रा को जानने की तीव्र इच्छा हुई |
निम्न बिन्दुओं का गहनता से अवलोकन करना चाहिए -
*मेरे मन में उठे विचारों की कुण्डली बनाकर देखने की इच्छा की पुष्टि
*सोनाली बेंद्रे जीवन यात्रा ? एवं
*उनके बेटे की कुण्डली से उसकी पुष्टि करना |
*दशाओं आदि की विवेचना |
मेरे मन में उठे विचार की कुण्डली -
इस कुंडली में हमे चंद्रमा जानकारी दे देता है कि उसकी एक राशि कर्क नवम भाव में स्थित है ये भाव अनभिज्ञ लोगों के लिए जाना जाता है अर्थात हम दोनों ही एक दूसरे के लिए अनजान है मै उनकी बीमारी के बारे में ही जानना चाहता हूँ चन्दमा के चतुर्थ भाव में स्थित होना नवम से अष्टम भाव (दुखद घटना) है | चन्द्रमा गुरु के नक्षत्र में स्थित है उसकी एक राशि नवम से छठे (बीमारी) के भाव में स्थित है गुरु को जीवन दायक ग्रह की संज्ञा भी प्राप्त है ये एक सकारात्मक संदेश की ओर इशारा है | मेरे मन में जो विचार चल रहे थे वो सही है |
देखने की दिनांक 31 - 07 - 2018 समय - 13 - 13 - 34 स्थान - बैंगलोर (कर्नाटक)
सोनाली बेंद्रे की कुण्डली -
कुंडली की सत्यता के लिए चन्द्रमा का अध्ययन करें इसकी एक राशि लग्न (शरीर) व चन्द्र का अष्टम भाव (दुःख) में होना , गुरु के नक्षत्र में होना उसकी एक राशि छठे (बीमारी) भाव में स्थित है अर्थात बीमारी के कारण कष्टप्रद समय की ओर इशारा कर रहा है | यंहा प्रथम भाव के उप नक्षत्र स्वामी शनि को देखें तो वह स्वयं ही छठे भाव (रोग) में ही बैठा है उसकी एक राशी सप्तम (मारक) भाव में व दूसरी अष्टम (दुःख) भाव में होने के कारण मृत्युतुल्य कष्ट दे रहा है | सप्तम भाव में मंगल व् केतु स्थित हैं दोनों मकर राशी में क्रमश: 9 अंश व 11 अंश 52 कला पर स्थित हैं अर्थात मात्र लगभग तीन अंशो का ही फर्क है | मंगल सर्जरी का कारक ग्रह है और सुखद बात ये है कि उसकी एक राशि पंचम भाव (बीमारी का व्यय भाव अर्थात स्वस्थ होने के लिए मुख्य भाव भी है ये ) में स्थित है | कुंडली में देखें तो मंगल , बुद्ध , शनि वक्री हैं |
बीमारी से संघर्ष करना ही होगा इतना सब जानने के बाद प्रमुख बात आती है कि सर्जरी / दवाओं के प्रयोग के बाद जीवन की आगे कि यात्रा कैसी रहेगी ? तो इसका जवाब सिर्फ दशा ही दे देती है - गुरु ग्रह की दशा है जो कि राहू के नक्षत्र में है , राहू चन्द्रमा की राशि व वक्री शनि के नक्षत्र में है तो राहू इन सबके परिणाम भी देगा बेशक ये सब कष्ट प्रद जीवन दे रहे हैं , लेकिन दशा स्वामी गुरु का मारक व बाधक भावों से सम्बन्ध नही बन रहा है यंहा इनकी कर्क लग्न है जिसका ग्यारवाँ भाव बाधक भाव होता है | मारक भाव जरुर मृत्युतुल्य कष्ट दे रहा है लेकिन बाधक भाव कुछ नही कर रहा है इसी प्रकार भुक्ति स्वामी शनि का अवलोकन करें बहुत खतरनाक स्थिति तो बना रहा है लेकिन इसके वक्री होने के कारण अत: सोनाली बेंद्रे के जीवन को कोई खतरा नही है स्वस्थ होकर शीघ्र ही घर वापसी हो जाएगी यह आसानी से कहा जा सकता है |
बेटे की कुंडली से प्रमाणिकता देखना ( नए तरह से शोध कार्य का तरीका ) -
उपरोक्त कुण्डली में पंचम भाव उनकी संतान का है उसे लग्न मानें तो वंहा से चतुर्थ भाव बेटे की माँ का है उसे सोनाली बेंद्रे की लग्न मान कर फिर से विश्लेषण करें -
इस कुण्डली का विश्लेषण भी देखें -
* लग्न का उप नक्षत्र स्वामी राहू है जो कि स्वयं ही छठे भाव (बीमारी) में सूर्य व बुध (वक्री) के साथ स्थित है सूर्य एवं राहू में मात्र दो अंशो का ही अंतर है सूर्य की सिंह राशी सप्तम (मारक) भाव में है जो कि बीमारी की गम्भीरता को स्पष्ट कर रहा है |
दशा स्वामी गुरु ग्रह बेशक मारक व बाधक भाव से सम्बन्ध बना रहा लेकिन राहू के नक्षत्र में राहू खुद वक्री शनि के नक्षत्र में होने के कारण गुरु के दुखद परिणामो को प्रतिबंधित कर सकारात्मक संदेश दे रहा है |
भुक्ति स्वामी शनि वक्री ही है जो कि केतु के नक्षत्र में है केतु बारवें भाव में मंगल (सर्जरी का कारक ग्रह) के साथ मात्र लगभग तीन अंश के अंतर पर है बारवां भाव अस्पताल , दूरस्थ यात्रा आदि के लिए जाना जाता है | इसी भुक्ति में सर्जरी भी होनी है |
अन्तरा स्वामी बुध वक्री है बुध खुद के ही नक्षत्र में होने के कारण उप नक्षत्र वक्री शनि की तरह परिणाम नक्षत्र के देगा | दोनों के ही नकारात्मक प्रभाव वक्री होने के कारण कम हो जायेंगे |
अंत में ये ही कहा जा सकता है कि वक्री शनि व वक्री बुध ने जीवन बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हुए दीर्घायु के फल दे दिए |
उपरोक्त कुंडलियों का इस तरह विश्लेषण मैडिकल विज्ञान के लिए भी एक सहायक टूल की तरह उपयोग में लाया जा सकता है लेकिन अभी और भी कुंडलियों पर प्रयोग के बाद प्राप्त परिणाम भी देखने चाहिए , मुझे अभी तक आश्चर्यजनक सफलताएं मिली हैं | मैडिकल ज्योतिष विज्ञान के लिए यह एक अच्छा उदाहरण साबित हो सकता है | कभी भी किसी किसी ग्रह को शुभ / अशुभ नही मानना चाहिए जैसे शनि राहू केतु आदि बल्कि उन पर गहन विश्लेषण करना चाहिए कि सम्बन्धित प्रश्न / जानकारी के लिए कैसे परिणाम प्राप्त होंगे इसे इस उदाहरण से जाने - चीनी डायविटिज के रोगी को नुक्सान दायक हो सकती है तो जिसका शुगर लेवल कम हो तो उसका चीनी खाना जीवन दायक हो सकता है वंही किसी को कोई फर्क नही पड़ेगा | अत: गहन विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है |
अपील
सोनाली बेंद्रे दीर्घायु हो शुभ कामना करते हुए उनसे अपील करता हूँ कि ऐसे व्यक्ति जो गम्भीर बीमारी से जीवन के लिए जूझ रहे हैं उन्हें इस ब्लॉग के द्वारा सकारात्मक संदेश देने का कष्ट करें ताकि वे लोग भी संकट की घडी से उभर सकें |
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