बुधवार, 14 जून 2017

चुनाव आयोग का ई.वी.एम चैलेंज

अस्वीकरण: यह लेख केंद्र / राज्य सरकार , चुनाव आयोग , न्यायालय अथवा किसी भी राजनीतिक दलों के कार्य मे हस्तक्षेप नही है व ना ही उनकी मान प्रतिष्ठा को  क्षति पहुचाने के लिए है | फिर भी यदि किसी को भी आर्थिक अथवा मानसिक क्षति पहुँचती है तो लेखक इसके लिए जिम्मेदार नही है | यह लेख केवल ज्योतिष का वैज्ञानिक तरह से विश्लेषण कर ज्योतिष का अध्ययन करने वालों के उपयोग के लिए शोधपूर्ण प्रस्तुति है | 

भारतीय लोकतंत्र का पूरे विश्व में बहुत सम्मान रहा है, लेकिन गत कुछ वर्षों से हमारे भारतीय लोकतंत्र को ना जाने किसकी नज़र लग गयी हैकिसी भी देश के लोकतंत्र का चुनाव आयोग ही ताज होता है| लोकतंत्र की प्रतिष्ठा का रास्ता यही से प्रारम्भ होता है| लोकतंत्र की परिभाषा - " जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन " कही जाती है| अंग्रेजी मे इसे डेमोक्रेसी कहा गया है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द "डेमोस" से हुई है जिसका मतलब "जनसाधारण" है| इसमे "केसी" शब्द और जोड़ा गया जिसका मतलब "शासन या सरकार" है| इसलिए लोकतंत्र कि प्रमुख चाबी जनता के हाथों मे ही है|

भारतीय लोकतंत्र को पूरे विश्व मे सम्मान की नजरो से देखा जाता है| ये सब भारत की जनता की एकता व अखंडता की वजह से संभव हो सका है| जनता अपने वोट देने के अधिकार को समझने लगी है| वोट देकर सरकार चुनने का काम तो जनता द्वारा ही किया जाता है लेकिन इस कार्य को निष्पक्षता से कराने की पूर्ण जिम्मेदारी चुनाव आयोग को दी गयी है इसलिए कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की रक्षा का प्रमुख दायित्व चुनाव आयोग पर ही है| पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री टी एन शेषन के कार्यकाल को लोकतंत्र के इतिहास मे भुलाया नही जा सकता| भारतीय लोकतंत्र को पूरे विश्व में सर्वोच्च शिखर पर पहुचाने का इनके द्वारा किया गया कार्य जो कि स्वर्णाक्षरो मे ही लिखे जाने योग्य है|

"चुनाव आयोग" हमारे देश की स्वतंत्र सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है| इसकी मान प्रतिष्ठा हम सभी की मान प्रतिष्ठा है, इसे नाकारा नही जा सकता| निष्पक्ष चुनाव कराना इस आयोग का दायित्व है| पूर्व मे जब चुनाव बैलेट पेपर से कराये जाते थे तो बहुत कागज लगता था तथा चुनाव बहुत महँगे हो जाते थे , परिणामों की घोषणा मे भी कई कई दिन लग जाते थे , बूथों पर कब्जे भी हो जाते थे| इन सब कारणों से चुनाव बहुत महँगे पड़ते थे| जिसका सारा भार जनता पर ही आता था| इससे मुक्ति के लिए एवं आधुनिकीकरण के इस दौर में "बैलेट पेपर" कि बजाये "ई वी एम" से चुनाव कराना तय किया गया|




विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा ई वी एम मशीन से निष्पक्षता से चुनाव कराये जाने को लेकर संदेह व्यक्त किया जाने लगा विद्वान लोग न्यायालय भी गए| चुनाव आयोग पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगे| चुनाव आयोग ने अपनी ई वी एम मशीन को दुनिया की सर्वोत्तम मशीन बताने के अपने तर्क भी दिए| लेकिन राजनीतिक दलों ने उन्हें स्वीकार नही किया तब चुनाव आयोग ने ई वी एम मशीन से वोट ट्रान्सफर होने के संदेह को दूर करने के लिए  दिनांक ३ जून 2017 को एक "चैलेन्ज" का आयोजन किया, जिसमे केवल दो राजनीतिक दलों ने ही हिस्सा लेना तय किया|

चुनाव आयोग ने दिनांक 3 जून 2017 को उक्त "चैलेन्ज" का समय प्रातः 10 बजे का रखा|

उस दिन शनिवार था और मुझे जैसे ही "चैलेन्ज" प्रारम्भ का समय प्रातः 10 बजे का पता लगा, एक अजीब सी शंका ने मन को विचलित कर दिया| बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य का प्रारम्भ था| ये सीधे रूप मे देखें तो ये सर्वोच्च संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग द्वारा ई वी एम पर उठ रहे सवालों को दूर कर पूरे विश्व मे हमारे भारतीय लोकतंत्र की मान प्रतिष्ठा को बचाने जैसा अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य था| लेकिन शनिवार को प्रातः 10 बजे प्रारम्भ का मतलब उक्त कार्य को "राहुकाल" मे प्रारम्भ करना था|

मेरे यहाँ पढने आने वालो को मै "राहुकाल" के बारे मे जानकारी जरुर दिया करता हूँ क्योंकि उत्तरी भारत मे बहुत कम लोग इसके महत्व को जानते हैं| पुरातन जानकारी के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि राक्षसों व देवताओं के द्वारा किये गए समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश से अमृत को जब भगवान् विष्णु भेष बदल कर देवताओं को अमृत पिला रहे थे तो एक राक्षस ने भगवान् विष्णु की  इस चालाकी को समझ गया| उसने देवताओं का भेष बना के भगवान् विष्णु के हाथों अमृत पी लिया तो "राहुकाल" इसी समय को माना जाता है कि जो अमृत मिलना तो था देवताओं को लेकिन राक्षस को भी मिल गया| इसे यूँ भी कह सकते है कि " होना कुछ होता है जबकि हो कुछ और ही जाता है"| इसका मैंने सैकड़ों बार अनुभव लिया है कोई भी नया शुभ कार्य "राहुकाल" में करके आप भी अनुभव लेवें|

तो "राहुकाल" मे चैलेन्ज का प्रारम्भ होना इस बात का संकेत दे रहा था कि इस पूरी प्रक्रिया मे "किसी को भी लाभ नहीं मिलने वाला, करना कुछ चाहेंगे हो कुछ और ही जायेगा"| कोई नतीजा नही निकलेगा इस आयोजन का , मुझे बहुत दुःख हो रहा था जब मेरे सब्र कि सीमा टूट गयी तो मैंने एकाग्रता बनाके प्रश्न सोचा कि "आज इस ई वी एम चैलेन्ज में कौन जीतेगा या क्या अधुरा रह जायेगा ये आयोजन ?" हालाँकि न तो चुनाव आयोग व ना ही राजनीतिक दल इसे हार - जीत मान रहे थे केवल इस समस्या को दूर करने का प्रयास मान रहे थे लेकिन मेरी नज़रों मे "चैलेन्ज" शब्द में  हार - जीत भी समाहित है अथवा पूरा मामला अनिर्णीत रह जायेगा जैसे की क्रिकेट के मैच मे ड्रा हो जाता है| इसलिए मैंने ऐसा प्रश्न किया और उसकी कुंडली बनायी| एक तो "राहुकाल" से भी अनिर्णय का एहसास हुआ, इसी को अब निम्न कुंडली मे भी देखते हैं -

कुंडली देखने की दिनांक 03 जून 2017 समय 12-45-38 दोपहर
स्थान: जयपुर 75 पू 42 , 2656


प्रश्नकर्ता की कुण्डली
ग्रहों एवं भावों की स्थिति




प्रश्न को कुंडली मे जांचे -
चन्द्रमा 11वे भाव इच्छापूर्ति भाव मे बैठा है इसकी एक राशि 10वे भाव में  है| दसवा भाव मान प्रतिष्ठा का भाव है| ये भाव सरकार का भी होता है किसी भी तरीके से मान प्रतिष्ठा बनी रह जाये इसी मेरी इच्छा बताता है| चन्द्रमा सूर्य के नक्षत्र मे है| सूर्य खुद 8वे भाव मे है जो मुझे होने वाले दुःख को भी बता रहा है| इसकी एक राशि 11वे भाव मे होने के कारण मेरी इच्छा को भी स्पष्ट कर रहा है|

मैंने 9वे भाव को चुनाव आयोग की लग्न के लिए चुना है तथा इसके ठीक सामने 3सरे भाव को राजनीतिक दलों की लग्न के लिए माना है| कुंडली को घुमाकर इनकी लग्न बना के देखने पर भी प्रश्न की जांच सही मिलती है| अतः हम कह सकते है की कुंडली सही बनी है|

यदि हम सिर्फ दशाओं को भी देखे तो भी हमे उत्तर मिल जाता है सूर्य दशा मे केतु की भुक्ति मे राहु की अन्तरा मे मंगल की सूक्ष्मा है| सभी अनिर्णय की ही जानकारी दे रहे है| चुनाव आयोग व राजनीतिक दलों की कुंडली 3सरे, 6ठे भाव  व 11वे भाव के अध्ययन से शेष जानकारी मिल रही है|

चुनाव आयोग की कुंडली के 6ठे भाव का उप नक्षत्र स्वामी सूर्य है जो की चन्द्रमा के नक्षत्र मे है जबकि राजनीतिक दलों कि कुंडली के 6ठे  भाव का उप नक्षत्र स्वामी चन्द्रमा है जो की सूर्य के नक्षत्र मे है| दोनों को कुंडली मे अध्ययन करने पर साफ़ पता चलता है कि इस चैलेन्ज मे किसी को भी कोई लाभ नही मिलने वाला|

परिणाम :
चूँकि मामला न्यायालय के अधीन भी चल रहा है इसलिए विश्लेषण को स्पष्ट नहीं लिखा जा सकता, लेकिन उस दिन के चैलेन्ज के परिणाम की जानकारी मिल जाती है| जिसे बाद मे चुनाव आयोग ने खुद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस मे स्पष्ट किया|

पुष्टि :
चुनाव आयोग द्वारा की गई - प्रेस कॉन्फ्रेंस स्वयं देखें -


न्यूज़ रेफ्रेंस : डी. डी. न्यूज़ 

विशेष निवेदन :
अंत में मै हमारी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें , चुनाव आयोग व  बिभिन्न राजनीतिक दलों से एक ही प्रार्थना करूँगा की दुनिया मे हमारे देश की जो लोकतंत्र के प्रति मान प्रतिष्ठा है उसे बनाये रखेंगें एवं देशहित मे भी जितना जल्दी हो सके इस प्रकरण का निपटारा करायेंगे| 

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