रविवार, 19 अप्रैल 2020

आर्थिक मंदी वर्ष 2008 और मीडिया

ज्योतिष से उठता विश्वास .............! कारण ? 
भाग 1

वर्ष 2008 में पूरे विश्व में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था | क्या-क्या कारण रहे इस पर तो भिन्न विचारों वाले आर्थिक विशेषज्ञ अपनी टिप्पणी से ही विस्तार से अवगत करा सकते हैं |

मंदी के दौर में भी अपना धन लाभ तो हो ही जाये | इसके लिए कॉर्पोरेट मीडिया ने ज्योतिषीय शब्द "पुष्य नक्षत्र" का नया प्रयोग किया | अपने समाचार पत्रों में मुख्य पेज पर "पुष्य नक्षत्र" को प्रचारित किया जाने लगा कि अभी जो "पुष्य नक्षत्र" आएगा उस दिन बाजार में इतने ग्राहक होंगे कि पैर रखने की जगह भी नही होगी , दुकानदारों का सारा माल तुरंत ही बिक जायेगा | समाचार पत्रों में हैडलाइन मे तरह तरह से हाई लाईट किया जाने लगा | ज्योतिष जगत के विद्वानों के नाम से भी समाचार बनाये जाने लगे | विद्वान ज्योतिषियों ने भी विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से अपने लेखों द्वारा - इस बार "पुष्य नक्षत्र" पर बाजार में बहुत भीड़ पड़ेगी , प्रचारित किया | कॉर्पोरेट मीडिया के इन समाचार पत्रों का साथ दिया बड़े शोरूम वालों ने - कार , रेडीमेड गारमेंट , ज्वेलरी आदि ने अपने विज्ञापनों में भी "पुष्य नक्षत्र" लिखे विज्ञापनों की भरमार कर दी | विज्ञापनों में कमाई आती देख सभी समाचार पत्रों ने "पुष्य नक्षत्र" को अपने समाचार पत्रों में हाईलाईट करना शुरू करके विज्ञापनों से खूब कमाई की कई दिनों तक ये खेल चलता रहा |

इसके बाद तो कुछ विज्ञापनों में रवि - पुष्य , गुरु - पुष्य , रवि योग , सर्वार्थ सिद्धि योग , अमृत सिद्धि योग आदि का जमकर दुरूपयोग किया जाने लगा | उन दिनों के समाचार पत्रों को देखें |आम उपभोक्ता में से कुछ तो इन विज्ञापनों से भ्रमित हो ही जाते हैं |

जरा विचार करें - चीनी को ही देखें कोई मधुमेह का रोगी इसका सेवन करता है तो उसके लिए ये नुकसान दायक हो सकती है जबकि किसी का शुगर लेवल कम रहता है तो उसे अपना शुगर लेवल बनाये रखने के लिए हर समय चीनी अपने साथ रखनी पड़ेगी कभी भी इसके सेवन की जरुरत पड सकती है एक ऐसा व्यक्ति भी हो सकता जिसे कोई फर्क नही पड़ेगा चीनी खाये तो ठीक ना खाये तो ठीक | इसी प्रकार "पुष्य नक्षत्र" भी सभी के लिए  लाभप्रद कैसे हो सकता है ? किसी को लाभ तो किसी को नुक्सान ही होगा | कार वालों की तो कार बिक जायेगी , ज्वेलरी वालों के गहने भी बिक जायेंगे और अभी नही भी बिके तो उन्हें क्या फर्क पड़ेगा अब नही बिके तो दस बीस दिनों में बिकेंगे ही |

अब कल्पना करें सर्दी के मौसम में उन ऊनी कपडे बेचने वालों की इस तरह के गलत व भ्रमित करने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर  दुकानदार ऊनी वस्त्र ( जर्सी , स्वेटर , शाल आदि ) अपनी दुकान में फुल स्टॉक कर लेगा और जब ग्राहक नही आएगा माल नही बिकेगा तो अगली सर्दियों तक एक वर्ष के लिए सारी लागत राशि ब्लॉक हो जायेगी सिर्फ ये ही नही अगले वर्ष तक वो स्टॉक ख़राब भी हो सकता है व अगले वर्ष उन्ही के नये डिज़ाइन आने से नुक्सान भी हो सकता है |

मैंने इसे एक अलग तरह के उदाहरण से विस्तार से समझाते हुए सभी समाचार पत्रों को लिख कर भेजा लेकिन किसी ने भी इसे प्रकाशित करना उचित नही समझा चूँकि मै पत्रकारिता से भी जुडा  रहा हूँ जानकारी करने पर मेरे साथियों ने बताया कि हमें तुम्हारे इस आर्टिकल को प्रकाशित करके विज्ञापनों से होने वाली आय बंद नही करानी थी , तब अलवर के ही एक स्थानीय समाचार पत्र ''राजस्थान टाईम्स'' ने प्रकाशित किया अवलोकन करें -



लेकिन क्या ये गलत नही था - "पुष्य नक्षत्र" का दुरूपयोग नहीं किया गया है ? किसी भी विद्वान ज्योतिष ने इसका विरोध दर्ज नही कराया | बड़ा दुःख हुआ कि क्या कोई भी समाचार पत्र इस तरह गलत प्रयोग करके अपने आप को भी नुक्सान नही पंहुचा रहे है ? ज्योतिष शास्त्र का तो अपमान किया ही जा रहा था जिससे लोगो में ज्योतिष के प्रति विश्वास तो उठना स्वाभाविक ही है इसे अंधविश्वास मानने लगते हैं |

अपील -
अंत में मेरी एक ही अपील है अपने अपने क्षणिक लाभ के लिए  इस तरह ज्योतिषीय शब्दों का गलत प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए इसकी वजह से ज्योतिष से लोगों का विश्वास उठ जाता है ये एक बहुत बड़ा विज्ञान है इसमे लगातार शोध कार्य करके मानव हित में उसका उपयोग किया जाना चाहिए |

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