मंगलवार, 26 मई 2020

मातृत्व सुख और ज्योतिष

* ज्योतिष विज्ञान का मेडिकल विज्ञान में उपयोग

मेरे एक रिश्तेदार के पडौसी की पुत्र वधु विवाहोपरान्त पहली बार गर्भवती हुई तो घर में एक खुशियों भरा माहौल था | लेकिन चौथे माह में बच्चे में विकृति का पता चला तो डॉक्टर ने गर्भपात कराने की सलाह दी जो कि उन्हें माननी पड़ी |  गर्भपात कराये जाने के बाद तो मानो उनके सभी सपने चूर चूर हो गए | "माँ होना" से बड़ा एहसास दुनिया में क्या हो सकता है ?

कुछ दिन बाद वह एक बार फिर गर्भवती हुई | पिछली घटना से वह बहुत घबराई हुयी थी एक दिन पिछली घटना का जिक्र करते हुए मुझे  कहने लगी कि आप अपनी ज्योतिष के आधार पर ही बताएं , मेरे साथ पहले जैसा तो नही हो जायेगा ? मैंने उसे अपने ज्योतिष के आधार पर देखने के तरीके को समझा दिया | फिर उसने एकाग्रता बना कर दिनांक 27 फरवरी 2011 को प्रश्न किया --


मेरे द्वारा यह दिनांक 11 मार्च 2011 को 23-14-03 बजे  जयपुर में  देखा गया | ग्रहों / भावों / दशा आदि का विवरण निम्नानुसार है -

दशा - सूर्य की दशा दिनांक 11 - 09 -2015 तक
भुक्ति - राहू की भुक्ति दिनांक 29 सितम्बर 2011 तक
अन्तरा - चन्द्रमा की    तक फिर मंगल का अन्तरा   तक गौर करें मंगल यंहा राहू के नक्षत्र में है |

यंहा निम्न विषयों पर गौर करना अति आवश्यक है -

वो जो पूछना चाह रही है क्या वह गर्भवती भी है या नही ?
वह अब होने वाले बच्चे से ही सम्बन्धित ही जानना चाहती है?
क्या कुण्डली सही बनी है ?
कुण्डली क्या क्या जानकारी देती है ?

चन्दमा खुद या उसकी राशि या वह जिस नक्षत्र में है वो नक्षत्र स्वामी या उसकी राशि सम्बन्धित भावों से सम्बन्ध बनावे तो वह महिला गर्भवती है तथा जो वह पूछ रही है वह सही है यंहा कुण्डली  में देखें चन्द्रमा खुद तीसरे भाव में स्थित है तथा उसकी एक राशि कर्क सातवें भाव में है , चन्द्रमा - सूर्य के नक्षत्र व राहू के उप नक्षत्र में स्थित है | सूर्य जो कि दशा स्वामी भी है वह भी गुरु के नक्षत्र में है गुरु की एक राशि धनु ग्यारवें (इच्छापूर्ति) व बारवें भाव में है | भुक्ति स्वामी राहू इस कुंडली में अत्यंत महत्वपूर्ण है वह स्वयं  ग्यारवें भाव (इच्छापूर्ति) में ही स्थित है राहू गुरु की राशि व केतु के नक्षत्र में होने के कारण उन भावों के परिणाम भी देगा | प्रथम भाव का उप नक्षत्र स्वामी भी राहू ही है | सभी स्थितयों का अवलोकन करें चन्द्रमा की राशि का सप्तम भाव में होना दूसरी संतान को इंगित कर रहा है एस्ट्रोलॉजी सीखने वालों के सामने यह विचार आना स्वाभाविक है चूंकि पहले एक बार गर्भपात हो चुका है तो अब जो संतान होनी है उसे पहली संतान माने या दूसरी इसके लिए उन्हें पहले तो ह्यूमन बॉडी की एनाटोमी को जानना चाहिए राहू के गुरु की राशि में होने के कारण - गुरु के खुद के द्वितीय भाव ( कुटुम्ब ) में ही होने से व उसकी एक राशि मीन भी इसी  भाव में होने तथा दूसरी ग्यारवें भाव में होने से साफ़ हो जाता है कि वह सन्तान के विषय में ही पूछ रही हैं तथा वो गर्भवती भी हैं | यंहा एक बात और विशेष है की उनके मन में पूर्व घटना भी चल रही है देखें - संतान का प्रमुख भाव में मिथुन राशि में केतु स्वयं स्थित है केतु एक गर्भपात देने वाला ग्रह है तथा मिथुन राशि स्वयं भी प्रतिबंधित राशि ही है जिसने पहली वाली घटना गर्भपात को जन्म दिया | अर्थात कुण्डली सही बनी है |

अब विश्लेषण को और अधिक विस्तार न देते हुए मूल विषय पर आते हैं जो कि उनके द्वारा पूछा गया है कि -
कुंडली के सप्तम भाव का उप नक्षत्र राहू है जो कि स्वयं ही ग्यारवें (इच्छापूर्ति) भाव में होने के कारण अबकी बार जरुर इच्छा पूरी करवा देंगे | राहू को अक्सर डरावने ग्रह के रूप में प्रचारित किया जाता है जबकि यंहा स्वस्थ सन्तान प्राप्ति में बहुत बडी भूमिका निभा रहा है दशाओं में भी भुक्ति स्वामी भी ये ही है जो कि 29 सितम्बर 2011 तक है चाही गयी जानकारी के बारे में मेरे द्वारा बताया गया कि अबकी बार कोई परेशानी नही होगी इतना बताने के बाद मुझसे उन्होंने पूछा कि संतान कब तक होगी ? जबकि अपने प्रश्न में इस बाबत कोई जानकारी नही चाही थी फिर भी मैंने राहू की भुक्ति समाप्ति वाली दिनांक 29 सितम्बर 2011 के आसपास होना बताया  बाद में अप्रेल 2011 में चिकित्सालय में अपना कार्ड बनवाया तो डॉक्टर ने भी डिलीवरी दिनांक 29 सितम्बर 2011 ही बताई देखें -


यंहा आप देखेंगे कि डॉक्टर द्वारा दी गयी डिलीवरी दिनांक मासिक धर्म के आधार पर बताई गयी है जबकि मुझे तो इसकी कोई जानकारी नही दी गयी थी मैंने दशा के आधार पर ही 29 सितम्बर 2011 के आसपास बताई थी | डॉक्टर व् मेरे द्वारा बताई गयी दिनांक निश्चित नही थी मुझे निश्चित दिनांक निकालने के लिए अभी गोचर से भी गणना करना बाकि था |

धीरे धीरे समय बीतने लगा वो प्रत्येक माह डॉक्टर के पास चेकअप आदि के लिए जाती थी | एक दिन मै सितम्बर 2011 के प्रथम सप्ताह में अपने भाई साहब के घर जा रहा था तो वो अपने घर के बाहर खड़ी थी मुझे देखकर बोली कि आपकी भविष्यवाणी गलत होने वाली है मैंने पूछा कि कैसे ? आपको अभी तक कोई तकलीफ हुई  क्या ? वो बोली - नहीं डॉक्टर  डिलीवरी दिनांक 10 अक्टूबर की बता रही है | मुझसे रहा नही गया मैंने कहा आप 29 सितम्बर 2011 भी नही पार कर पायेंगी पहले ही डिलीवरी हो जाएगी , मुझे पता था कि दिनांक 29 के बाद गुरु ग्रह की भुक्ति प्रारम्भ होगी हालाँकि गुरु जो की खुद भी सन्तान कारक ग्रह है यंहा सकारात्मक भी है लेकिन  गोचर में उन दिनों गुरु वक्री चल रहे थे | राहू या गुरु में से कौन सा ग्रह सन्तान देगा दोनों ही सन्तान के लिए सकारात्मक है लेकिन गुरु गोचर में वक्री है जबकि राहू छाया ग्रह है कृष्णमूर्ति पद्दति में छाया ग्रह को अधिक महत्व दिया जाता है | अन्तरा एवं सूर्य एवं चन्द्रमा के गोचर को देखने के बाद ( लेख के अधिक विस्तार के कारण गोचर का विश्लेषण रोक रहा हूँ ) मेरे द्वारा दिनांक 14  सितम्बर को रात्रि बारह से पहले वाले दो घंटे व बाद में दिनांक 15 आयेगी उसके प्रारम्भ के दो घंटे इस प्रकार इन चार घंटों के दौरान सन्तान हो जाएगी बता दिया गया दिनांक 14 सितम्बर 2011 को रात्री 10 बजकर 03 मिनिट पर उन्होंने एक पूर्ण स्वस्थ लड़की को जन्म दिया | इस प्रकार डिलीवरी दिनांक व समय सही पाए गये बहुत सूक्ष्म गणना से डिलीवरी के वास्तविक समय को घंटे - मिनिट भी एवं अन्य जानकारियां भी आसानी से जानी  जा सकती हैं |

विनम्र निवेदन
यह एक ज्योतिष विज्ञान का सकारात्मक उपयोग है जो कि किसी भयभीत गर्भवती महिला जिसका अपरिहार्य कारणों से पूर्व में गर्भपात कराया जा चुका हो , उसको भय मुक्त करने के लिए अच्छा उदाहरण है | स्त्रीरोग विशेषज्ञ (Gynecologist) के लिए तो ये बहुत उपयोगी है थोड़े से अभ्यास से एक अतिरिक्त टूल की तरह उपयोग किया जा सकता है |

अन्य वैज्ञानिक आधार सहित  शोधपूर्ण लेखों को पढने के लिए हमारे निम्न  फेसबुक पेज / ब्लॉग से जुड़ें -

Facebook:

Blog:
                    

गुरुवार, 21 मई 2020

एक सकारात्मक जिन्दगी की किताब

* ज्योतिष विज्ञान का मेडिकल विज्ञान में उपयोग  


जिन्दगी कैसी है पहेली कभी ये हंसाये कभी ये ......... बाबू मोशाय ! 

समय की घडी की रफ्तार उस पल क्या हो जाती है ? जब जिन्दगी मस्ती भरी हंसते हंसाते अपनी ही गति से चल रही हो तभी अचानक एक सूचना भर से सब कुछ बदल सा जाता है उस क्षण लगता है कि बस अब समय रुक जाए ...! कितना कठिन हो जाता है यह सब अपनों को कैसे बताया जाये ?

यह भी एक अजीब संयोग है कि मैंने पिछले कई वर्षों से फिल्मे नही देखी हैं इसलिए नये कलाकारों को नही पहचान पाता हूँ लेकिन एक दिन सोशल मीडिया से ही पता चला कि सोनाली बेंद्रे को अचानक खतरनाक बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है -


         जीत जायेंगे हम , जीत जायेंगे हम - तू अगर संग है .........

माँ - बेटे का ये प्यार, कितना अन्तर्द्वन्द चल रहा होगा माँ के मन में कल्पना करना भी बहुत कठिन है , कैसे उसे बताया होगा अपने बारे में ? दूसरी तरफ अपने परिवार व पति का प्यार ! इस तरह की सूचना से कोई भी इन्सान गहरे सदमे में जा सकता है | लेकिन सोनाली बेंद्रे के अन्य फोटो में  चेहरे से ही मुझे एक सकारात्मकता संदेश मिल रहा था कि शायद कुछ सुखद समाचार मिल सकेंगे |
मै स्वयं भावनात्मक रूप से अपने को नही रोक सका तो ज्योतिषीय आधार पर कुण्डली बना कर इनके जीवन की यात्रा को जानने की तीव्र इच्छा हुई |

निम्न बिन्दुओं का गहनता से अवलोकन करना चाहिए -

*मेरे मन में उठे विचारों की कुण्डली बनाकर देखने की इच्छा की पुष्टि   
*सोनाली बेंद्रे जीवन यात्रा ? एवं
*उनके बेटे की कुण्डली से उसकी पुष्टि करना |
*दशाओं आदि की विवेचना |

मेरे मन में उठे विचार की कुण्डली -




इस कुंडली में हमे चंद्रमा जानकारी दे देता है कि उसकी एक राशि कर्क नवम भाव में स्थित है ये भाव अनभिज्ञ लोगों के लिए जाना जाता है अर्थात हम दोनों ही एक दूसरे के लिए अनजान है मै उनकी बीमारी के बारे में ही जानना चाहता हूँ चन्दमा के चतुर्थ भाव में स्थित होना नवम से अष्टम भाव (दुखद घटना) है | चन्द्रमा गुरु के नक्षत्र में स्थित है उसकी एक राशि नवम से छठे (बीमारी) के भाव में स्थित है गुरु को जीवन दायक ग्रह की संज्ञा भी प्राप्त है ये एक सकारात्मक संदेश की ओर इशारा है | मेरे मन में जो विचार चल रहे थे वो सही है |
देखने की दिनांक 31 - 07 - 2018 समय - 13 - 13 - 34 स्थान - बैंगलोर (कर्नाटक) 
सोनाली बेंद्रे की कुण्डली -



कुंडली की सत्यता के लिए चन्द्रमा का अध्ययन करें इसकी एक राशि लग्न (शरीर) व चन्द्र का अष्टम भाव (दुःख) में होना , गुरु के नक्षत्र में होना उसकी एक राशि छठे (बीमारी) भाव में स्थित है अर्थात बीमारी के कारण कष्टप्रद समय की ओर इशारा कर रहा है | यंहा प्रथम भाव के उप नक्षत्र स्वामी शनि को देखें तो वह स्वयं ही छठे भाव (रोग) में ही बैठा है उसकी एक राशी सप्तम (मारक) भाव में व दूसरी अष्टम (दुःख) भाव में होने के कारण मृत्युतुल्य कष्ट दे रहा है | सप्तम भाव में मंगल व् केतु स्थित हैं दोनों मकर राशी में क्रमश: 9 अंश व 11 अंश 52 कला पर स्थित हैं अर्थात मात्र लगभग तीन अंशो का ही फर्क है | मंगल सर्जरी का कारक ग्रह है और सुखद बात ये है कि उसकी एक राशि पंचम भाव (बीमारी का व्यय भाव अर्थात स्वस्थ होने के लिए मुख्य भाव भी है ये ) में स्थित है | कुंडली में देखें तो मंगल , बुद्ध , शनि वक्री हैं |

बीमारी से संघर्ष करना ही होगा इतना सब जानने के बाद प्रमुख बात आती है कि सर्जरी / दवाओं के प्रयोग के बाद जीवन की आगे कि यात्रा कैसी रहेगी ? तो इसका जवाब सिर्फ दशा ही दे देती है  - गुरु ग्रह की दशा है जो कि राहू के नक्षत्र में है , राहू चन्द्रमा की राशि व वक्री शनि के नक्षत्र में है तो राहू इन सबके परिणाम भी देगा बेशक ये सब कष्ट प्रद जीवन दे रहे हैं , लेकिन दशा स्वामी गुरु का मारक व बाधक भावों से सम्बन्ध नही बन रहा है यंहा इनकी कर्क लग्न है जिसका ग्यारवाँ भाव बाधक भाव होता है | मारक भाव जरुर मृत्युतुल्य कष्ट दे रहा है लेकिन बाधक भाव कुछ नही कर रहा है इसी प्रकार भुक्ति स्वामी शनि का अवलोकन करें बहुत खतरनाक स्थिति तो बना रहा है लेकिन इसके वक्री होने के कारण  अत: सोनाली बेंद्रे के जीवन को कोई खतरा नही है स्वस्थ होकर शीघ्र ही घर वापसी हो जाएगी यह आसानी से कहा जा सकता है |

बेटे की कुंडली से प्रमाणिकता देखना ( नए तरह से शोध कार्य का तरीका ) -
उपरोक्त कुण्डली में पंचम भाव उनकी संतान का है उसे लग्न मानें तो वंहा से  चतुर्थ भाव बेटे की माँ का है उसे सोनाली बेंद्रे की लग्न मान कर फिर से विश्लेषण करें -



इस कुण्डली का विश्लेषण भी देखें -

* लग्न का उप नक्षत्र स्वामी राहू है जो कि स्वयं ही छठे भाव (बीमारी) में सूर्य व बुध (वक्री) के साथ स्थित है सूर्य एवं राहू में मात्र दो अंशो का ही अंतर है सूर्य की सिंह राशी सप्तम (मारक) भाव में है जो कि बीमारी की गम्भीरता को स्पष्ट कर रहा है |
दशा स्वामी गुरु ग्रह बेशक मारक व बाधक भाव से सम्बन्ध बना रहा लेकिन   राहू के नक्षत्र में राहू खुद वक्री शनि के नक्षत्र में होने के कारण गुरु के दुखद परिणामो को प्रतिबंधित कर सकारात्मक संदेश दे रहा है |
भुक्ति स्वामी शनि वक्री ही है जो कि केतु के नक्षत्र में है केतु बारवें भाव में मंगल (सर्जरी का कारक ग्रह) के साथ मात्र लगभग तीन अंश के अंतर पर है  बारवां भाव अस्पताल , दूरस्थ यात्रा आदि के लिए जाना जाता है | इसी भुक्ति में सर्जरी भी होनी है |
अन्तरा स्वामी बुध वक्री है बुध खुद के ही नक्षत्र में होने के कारण उप नक्षत्र वक्री शनि की तरह परिणाम नक्षत्र के देगा | दोनों के ही नकारात्मक प्रभाव वक्री होने के कारण कम हो जायेंगे |   

अंत में ये ही कहा जा सकता है कि वक्री शनि व वक्री बुध ने जीवन बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हुए दीर्घायु के फल दे दिए |

उपरोक्त कुंडलियों का इस तरह विश्लेषण मैडिकल विज्ञान के लिए भी एक सहायक टूल की तरह उपयोग में लाया जा सकता है लेकिन अभी और भी कुंडलियों पर प्रयोग के बाद प्राप्त परिणाम भी देखने चाहिए , मुझे अभी तक आश्चर्यजनक सफलताएं मिली हैं | मैडिकल ज्योतिष विज्ञान के लिए यह  एक अच्छा उदाहरण साबित हो सकता है | कभी भी किसी किसी ग्रह को शुभ / अशुभ नही मानना चाहिए जैसे शनि राहू केतु आदि बल्कि उन पर गहन विश्लेषण करना चाहिए कि सम्बन्धित प्रश्न / जानकारी के लिए कैसे परिणाम प्राप्त होंगे इसे इस उदाहरण से जाने - चीनी डायविटिज के रोगी को नुक्सान दायक हो सकती है तो जिसका शुगर लेवल कम हो तो उसका चीनी खाना जीवन दायक हो सकता है वंही किसी को कोई फर्क नही पड़ेगा | अत: गहन विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है |     
अपील
सोनाली बेंद्रे दीर्घायु हो शुभ कामना करते हुए उनसे अपील करता हूँ कि ऐसे व्यक्ति जो गम्भीर बीमारी से जीवन के लिए जूझ रहे हैं उन्हें इस ब्लॉग के द्वारा सकारात्मक संदेश देने का कष्ट करें ताकि वे लोग भी संकट की घडी से उभर सकें | 

अन्य वैज्ञानिक आधार सहित  शोधपूर्ण लेखों को पढने के लिए हमारे निम्न  फेसबुक पेज / ब्लॉग से जुड़ें -

Facebook:

Blog:

रविवार, 19 अप्रैल 2020

आर्थिक मंदी वर्ष 2008 और मीडिया

ज्योतिष से उठता विश्वास .............! कारण ? 
भाग 1

वर्ष 2008 में पूरे विश्व में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था | क्या-क्या कारण रहे इस पर तो भिन्न विचारों वाले आर्थिक विशेषज्ञ अपनी टिप्पणी से ही विस्तार से अवगत करा सकते हैं |

मंदी के दौर में भी अपना धन लाभ तो हो ही जाये | इसके लिए कॉर्पोरेट मीडिया ने ज्योतिषीय शब्द "पुष्य नक्षत्र" का नया प्रयोग किया | अपने समाचार पत्रों में मुख्य पेज पर "पुष्य नक्षत्र" को प्रचारित किया जाने लगा कि अभी जो "पुष्य नक्षत्र" आएगा उस दिन बाजार में इतने ग्राहक होंगे कि पैर रखने की जगह भी नही होगी , दुकानदारों का सारा माल तुरंत ही बिक जायेगा | समाचार पत्रों में हैडलाइन मे तरह तरह से हाई लाईट किया जाने लगा | ज्योतिष जगत के विद्वानों के नाम से भी समाचार बनाये जाने लगे | विद्वान ज्योतिषियों ने भी विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से अपने लेखों द्वारा - इस बार "पुष्य नक्षत्र" पर बाजार में बहुत भीड़ पड़ेगी , प्रचारित किया | कॉर्पोरेट मीडिया के इन समाचार पत्रों का साथ दिया बड़े शोरूम वालों ने - कार , रेडीमेड गारमेंट , ज्वेलरी आदि ने अपने विज्ञापनों में भी "पुष्य नक्षत्र" लिखे विज्ञापनों की भरमार कर दी | विज्ञापनों में कमाई आती देख सभी समाचार पत्रों ने "पुष्य नक्षत्र" को अपने समाचार पत्रों में हाईलाईट करना शुरू करके विज्ञापनों से खूब कमाई की कई दिनों तक ये खेल चलता रहा |

इसके बाद तो कुछ विज्ञापनों में रवि - पुष्य , गुरु - पुष्य , रवि योग , सर्वार्थ सिद्धि योग , अमृत सिद्धि योग आदि का जमकर दुरूपयोग किया जाने लगा | उन दिनों के समाचार पत्रों को देखें |आम उपभोक्ता में से कुछ तो इन विज्ञापनों से भ्रमित हो ही जाते हैं |

जरा विचार करें - चीनी को ही देखें कोई मधुमेह का रोगी इसका सेवन करता है तो उसके लिए ये नुकसान दायक हो सकती है जबकि किसी का शुगर लेवल कम रहता है तो उसे अपना शुगर लेवल बनाये रखने के लिए हर समय चीनी अपने साथ रखनी पड़ेगी कभी भी इसके सेवन की जरुरत पड सकती है एक ऐसा व्यक्ति भी हो सकता जिसे कोई फर्क नही पड़ेगा चीनी खाये तो ठीक ना खाये तो ठीक | इसी प्रकार "पुष्य नक्षत्र" भी सभी के लिए  लाभप्रद कैसे हो सकता है ? किसी को लाभ तो किसी को नुक्सान ही होगा | कार वालों की तो कार बिक जायेगी , ज्वेलरी वालों के गहने भी बिक जायेंगे और अभी नही भी बिके तो उन्हें क्या फर्क पड़ेगा अब नही बिके तो दस बीस दिनों में बिकेंगे ही |

अब कल्पना करें सर्दी के मौसम में उन ऊनी कपडे बेचने वालों की इस तरह के गलत व भ्रमित करने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर  दुकानदार ऊनी वस्त्र ( जर्सी , स्वेटर , शाल आदि ) अपनी दुकान में फुल स्टॉक कर लेगा और जब ग्राहक नही आएगा माल नही बिकेगा तो अगली सर्दियों तक एक वर्ष के लिए सारी लागत राशि ब्लॉक हो जायेगी सिर्फ ये ही नही अगले वर्ष तक वो स्टॉक ख़राब भी हो सकता है व अगले वर्ष उन्ही के नये डिज़ाइन आने से नुक्सान भी हो सकता है |

मैंने इसे एक अलग तरह के उदाहरण से विस्तार से समझाते हुए सभी समाचार पत्रों को लिख कर भेजा लेकिन किसी ने भी इसे प्रकाशित करना उचित नही समझा चूँकि मै पत्रकारिता से भी जुडा  रहा हूँ जानकारी करने पर मेरे साथियों ने बताया कि हमें तुम्हारे इस आर्टिकल को प्रकाशित करके विज्ञापनों से होने वाली आय बंद नही करानी थी , तब अलवर के ही एक स्थानीय समाचार पत्र ''राजस्थान टाईम्स'' ने प्रकाशित किया अवलोकन करें -



लेकिन क्या ये गलत नही था - "पुष्य नक्षत्र" का दुरूपयोग नहीं किया गया है ? किसी भी विद्वान ज्योतिष ने इसका विरोध दर्ज नही कराया | बड़ा दुःख हुआ कि क्या कोई भी समाचार पत्र इस तरह गलत प्रयोग करके अपने आप को भी नुक्सान नही पंहुचा रहे है ? ज्योतिष शास्त्र का तो अपमान किया ही जा रहा था जिससे लोगो में ज्योतिष के प्रति विश्वास तो उठना स्वाभाविक ही है इसे अंधविश्वास मानने लगते हैं |

अपील -
अंत में मेरी एक ही अपील है अपने अपने क्षणिक लाभ के लिए  इस तरह ज्योतिषीय शब्दों का गलत प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए इसकी वजह से ज्योतिष से लोगों का विश्वास उठ जाता है ये एक बहुत बड़ा विज्ञान है इसमे लगातार शोध कार्य करके मानव हित में उसका उपयोग किया जाना चाहिए |

अन्य वैज्ञानिक आधार सहित  शोधपूर्ण लेखों को पढने के लिए हमारे निम्न  फेसबुक पेज / ब्लॉग से जुड़ें -

Facebook:

Blog:

मंगलवार, 11 जून 2019

वेटिंग रेल यात्रा टिकिट का कन्फर्मेशन

मेरी पत्नी को जयपुर से इंदौर जाना था | जून माह में रेल की सभी सीटें फुल हो जाती हैं , तेज गर्मी के कारण रात्रि की ट्रेन में तो जगह मिलना ही संभव नही है - वो भी अचानक | तय किया गया कि कल सुबह 06 जून 2019 को रेलवे की साईट  द्वारा तत्काल टिकिट बुक करा लेंगे | दुसरे दिन 06 जून 2019 को साईट ओपन होते ही टिकिट बुक कराते कराते ही सभी सीटें / बर्थ फुल हो गयी व हमे तत्काल वेटिंग में आठवां नम्बर मिला -



अब दो स्थिती हैं वेटिंग की टिकिट कन्फर्म होगी या नही ? अन्यथा टिकिट कैन्सिल कराया जावे |
वेटिंग की टिकिट  07 जून 2019 को कन्फर्म होगी या नही ये जानने के लिए मैंने दिनांक 06 जून 2019 को ही एक प्रश्न सोचा कि - वेटिंग की टिकिट कन्फर्म होगी या नही ? तथा रेल से ही यात्रा के योग भी है या नही ? ( क्योंकि टिकिट कन्फर्म नही होता है तो बस से भी जाया जा सकता है )
इसको कृष्णमूर्ति ज्योतिष पद्दति से जानने के लिए दिनांक  06 जून 2019 को  11-56-35 बजे मैंने  एक कुंडली बनायी 

सप्तम भाव को लग्न बनाने के बाद बनी कुण्डली / ग्रहों की स्थिती -



मेरे प्रश्न की सार्थकता - 

मेरे द्वारा सोचा गया प्रश्न सही था या नही इसको जानने के लिए चन्द्रमा का अध्धयन करना चाहिए चन्द्रमा की राशि कर्क तृतीय भाव में ही है जो टिकिट का व यात्रा का भी भाव है चन्दमा गुरु के नक्षत्र में है गुरु की एक राशि मीन ग्यारवें भाव में ही है जो कि इच्छापूर्ति भाव है अर्थात सोचा गया प्रश्न सही ही है |

क्या टिकिट कन्फर्म होगी ? 

इसको जानने के लिए तृतीय भाव का उप नक्षत्र स्वामी को देखेंगे जो कि बुद्ध है बुद्ध राहू के नक्षत्र में है राहू अपने नक्षत्र स्वामी के भी परिणाम भी देता है जो कि यहाँ गुरु है उसकी एक राशि ग्यारवें भाव में (इच्छापूर्ति) है गुरु खुद भी बुद्ध के नक्षत्र में बैठा है अर्थात टिकिट कन्फर्म हो जाएगी |

विभिन्न दशाओं का अध्ययन -



दशाओं में  -- गुरु की महादशा में शुक्र की भुक्ति बुद्ध का अंतरा केतु का सूक्ष्मा चल रहा है तथा प्राण दशा में शुक्र की प्राण दशा 06 जून 2019 को शाम 06 - 45 बजे तक है फिर इसके बाद सूर्य की प्राण दशा 07 जून 2019 को सुबह 04 - 24 तक है इसके बाद चन्द्रमा ( टिकिट कन्फर्म के लिए सकारात्मक ग्रह ) की प्राण दशा चालू हो जाएगी इनमे से गुरु  व बुद्ध का अध्धयन हम पूर्व में कर चुके हैं शुक्र को देखें तो वो बारवें भाव में बैठ कर स्थान में बदलाव ( Change of environment ) को इंगित कर रहा है इसकी एक राशि छठे भाव में है जो कि जीत का भाव ( सकारात्मक ) ही है | अब केतु को देखें तो अपनी राशि व नक्षत्र के भी परिणाम देता है केतु गुरु की राशि व शुक्र के नक्षत्र में है जो की टिकिट कन्फर्म के लिए सकारात्मक ग्रह ही हैं अब प्राण दशा स्वामी चन्दमा को देखें तो वो सुबह 04 - 24 से शाम 08 - 30 तक है इसी दौरान उपयुक्त लग्न में टिकिट कन्फर्म हो जाएगी | शाम  08 - 30 के बाद मंगल की प्राण दशा भी रेल यात्रा के उपयुक्त संकेत दे रही है |

सभी सकारात्मक स्थितीयों के आधार पर टिकिट कन्फर्मेशन व सफल यात्रा हो जाएगी इस बाबत  मैंने अपने बेटे को मेल से सूचित कर दिया देखें -



Confirmed Ticket

और अंत में -

1) यह ज्योतिष का एक और सकारात्मक उपयोग है | इससे समय व धन की बचत की जा सकती है तथा मानसिक शांति भी मिलती है |
2) भारतीय रेल को सुखद व सफल यात्रा करवाने के लिए धन्यवाद |  

अन्य वैज्ञानिक आधार सहित  शोधपूर्ण लेखों को पढने के लिए हमारे निम्न  फेसबुक पेज / ब्लॉग से जुड़ें -

Facebook:

Blog:

शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ज्योतिष

News Reference: India Today

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग मौत का अनुमान लगाने में किया जाएगा, ऐसा सुनने में अजीब जरूर लग सकता है. लेकिन रिसर्चर्स एक ऐसी टेक्नोलॉजी को स्थाई रूप देने की कोशिश में लगे हैं, जो किसी मरीज के निकट भविष्य में मौत के जोखिम को लेकर डॉक्टर को अलर्ट दे सकता है. इससे डॉक्टर्स मरीज और उनके रिश्तेदारों से संपर्क कर सही तरीके जिंदगी खत्म करने को लेकर विचार कर सकते हैं | 

ये प्रयास स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक टीम ने किया है. रिसर्चर्स ने डीप लर्निंग नाम के मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया. जो फिल्टर करने के लिए न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करता है और ढेर सारे डेटा से लर्न करता है | 

ऐसे काम करती है मशीन:

इस मॉडल को तैयार करने के बाद रिसर्चर्स के टीम ने अस्पताल में भर्ती 20 लाख लोगों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स का डेटा उठाया और डीप लर्निंग एलगोरिदम को डेटा में फीड किया. इसके बाद AI ने अनुमान लगाया कि कौन सा मरीज 3 से लेकर 12 महीने में मौत को गले लगा सकता है स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के AI लैब में एक टीम मेंबर और पीएचडी कैंडिडेट ने आश्वासन दिया कि, 'हम एक सावधानीपूर्वक डिजाइन किए प्रयोगात्मक अध्ययन की जगह, स्वास्थ्य देखभाल की स्थापना के लिए नियमित रूप से कलेक्ट किए गए ऑपरेशनल डेटा का उपयोग कर एक प्रेडिक्टिव मॉडल बना सकते हैं | 
ये मॉडल इस बात का अच्छा सोर्स हो सकता है कि किस मरीज को जिंदगी खत्म होने से पहले अच्छे देखभाल की जरुरत है. साथ ही किस मरीज को जीवित रखने के लिए किस तरह के ट्रिटमेंट की जरुरत है | 

अब आप निम्न लिंक पर जाकर ज्योतिषीय आधार पर विश्लेषण पढ़ें  - 


मेरा यह लेख काफी संवेदनशील व रुला देने वाला है लेकिन एक शोध कार्य का हिस्सा है इसलिए इसका जिक्र करना भी बहुत आवश्यक हो जाता है | इस लेख की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं उन पर निम्नानुसार ध्यानाकर्षण चाहूँगा -

1) इस केस में दिनांक 16 - 12 - 2012 को वह दुर्घटना घटी जिसने पूरे देश को रुला दिया समाचार पत्रों से पता चलता था कि वह बार बार कोमा में चली जाती फिर जब होश आता तो अपनी माँ से कहती की माँ मै जीना चाहती हूँ कितनी बहादुर थी वो उसने घटना के समय भी संघर्ष किया गम्भीर हालातों में भी जीने की चाहत , मै बहुत ही भावुक व्यक्ति हूँ मुझसे नही रहा गया | वो सिर्फ एक माता - पिता की ही नहीं हम सभी की बेटी थी | ईश्वर से प्रार्थना करी और कुण्डली बना कर देखा कि भगवान उसकी जीने की चाहत पूरी करेंगे क्या ? 

२) कुण्डली में सबसे पहले ये देखना होता है कि जीवन है या मृत्यु और यदि जीवन पता चलता है तो ख़ुशी की बात है किन्तु मृत्यु पता चलती है तो ऐसे गम्भीर केस को देखकर तो कोई भी कह सकता है बच पाना मुश्किल है लेकिन ज्योतिषीय गणनाओं से वह दिनांक व समय भी जाना जा सकता है बशर्ते गणनाओं की जानकारी हो मैंने इस केस में 19 - 12 - 2012 को अर्थात तीन दिन बाद ही ईश्वर से प्रार्थना करते हुए यह जानना चाहा कि उसकी जीने की चाहत पूरी हो पायेगी ? ज्योतिषीय विश्लेषण में मृत्यु होने का पता लगा तथा मृत्यु दिनांक  29 - 12 - 2012 भी पता लग गयी थी किसी को भी यह नकारात्मक सन्देश नही बताया जा सकता था ,  देश ही नही पूरा विश्व ही अपराधियों के इस अमानवीय कृत्य के कारण से गुस्से में था | ईश्वर इच्छा ही थी , मानते हुए संतोष करना पड़ता है - पूरा वैज्ञानिक विश्लेषण इस लिंक के लेख में है जिसे मैंने अपने शोध कार्य के संकलन में सुरक्षित रख लिया था |

एक और उदाहरण भी देखें - दिनांक १ मई २०१५ को प्रकाशित समाचार पढ़ें जिसमे एक अस्वस्थ बच्चे को  एक दिन के लिए पुलिस कमिश्नर बनाया था देखें इस विडियो को -

News Reference: Dainik Jagran

News Reference: Dainik Bhaskar

मेरी  नजरों में पुलिस का यह एक बेहतरीन कार्य था मुझसे रहा नही गया | मैंने इस बच्चे की कुंडली बना कर विश्लेषण किया जिसे मैंने एक पत्र के द्वारा दिनांक 07 - 05 - 2015 को  जरिये स्पीड पोस्ट श्रीमान चिकित्सा  मंत्री , जे के लोन अस्पताल के अधीक्षक , तात्कालीन पुलिस कमिश्नर व पिंक सिटी प्रेस क्लब को प्रेषित किये थे | जिसमे पेज दो पर मैंने पुलिस के सम्मानजनक कार्य का आभार व्यक्त करते हुए निम्न बात लिखी थी - अवलोकन करें -



पेज - 2 पर 
बहुत ही कठिन होता है दुःख भरा ऐसा बताया जाना या लिखना अथवा हमारा देखना भी |

परिणाम -         04 -05-2016

News Reference: Dainik Bhaskar / Rajasthan Patrika

ईश्वर की इच्छा के आगे सभी हार जाते हैं , क्या कर सकते हैं ? परम पिता परमेश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें | इस तरह के ज्योतिषीय विश्लेषणों से डर भी लगता है लेकिन कुछ सकारात्मक संदेश भी प्राप्त होते हैं जैसे श्रीमती सोनाली बेंद्रे अभिनेत्री के स्वस्थ होकर वापस अपने घर भारत में आने की कुण्डली का अध्ययन किया था | किसी को खुशियाँ दे सके इस भावना से देखना भी एवं शोध कार्य करने के उद्देश्य से उचित मानते हुए ही विश्लेषण करने का मन करता है | इस तरह के उदाहरणों का मेरे पास एक अच्छा संकलन हो रहा है जिसे बाद में अपने शोध कार्य के रूप में प्रकाशित करूँगा |

अपील-

यदि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं ज्योतिष  का तुलनात्मक रूप से अध्ययन करे तो दोनों एक दूसरे के पूरक प्रतीत होते हैं | दोनों आपस में एक दूसरे का सहयोग लेते हुए शोध कार्य करें तो जनहित में बहुत बेहतरीन उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है अत: हमारी अपील है कि हमारे वैज्ञानिकों एवं सरकार को हजारो वर्ष पुरानी ज्योतिष विज्ञान के प्रति नफरत दूर करें एवं अन्धविश्वास ना बताते हुए एक दूसरे का सम्मान के साथ  निरंतर शोध कार्यो की ओर अग्रसर होकर लाभ उठाना  चाहिये |

अन्य वैज्ञानिक आधार सहित  शोधपूर्ण लेखों को पढने के लिए हमारे निम्न  फेसबुक पेज / ब्लॉग से जुड़ें -

Facebook:

Blog:

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

कौन असुर है व कौन देवता | फैसला करेगी देश की जनता ||

अस्वीकरण : मेरा यह लेख किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष या विपक्ष में नहीं है | इसका किसी व्यक्ति विशेष , जाति , धर्म , सम्प्रदाय , आदि से कोई सम्बन्ध नही है तथा किसी की भी भावनाओं को किसी भी तरह से ठेस पंहुचाना हमारा उद्देश्य नहीं है | किसी भी शुभ कार्य में उपयुक्त समय का अपना महत्व होता है इस प्रकार के समय को ज्योतिष विज्ञान में शुभ मुहूर्त की संज्ञा दी गयी है | राहुकाल में भी शुभ कार्यों को टाल दिया जाना चाहिए उसी सन्दर्भ में ये जनता से जुडा एक और प्रकरण विचार करने के लिए प्रस्तुति मात्र है मेरे पास तो इसके सैकड़ो उदाहरण है , लेकिन खुद सीखें - खुद जानें के मकसद से आपके स्वयं के अनुभव के लिए  लेख प्रस्तुत है -       

"राहुकाल" - असुरों व देवताओं के समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश से अमृत पीने के लिए दोनों में झगड़े होने लगे तब भगवान् विष्णु ने बीच में पड़कर देवताओं को अमृत व् असुरों को सोमरस पिलाना चाहा परन्तु एक असुर ने ये देख लिया था वह असुरों की तरफ से उठकर भेष बदलकर देवताओं की तरफ आ बैठा तथा धोखे से अमृत पी लिया लेकिन वह पकड में आगया था उसके बाद भगवान् विष्णु ने अपने चक्र से उसके दो टुकड़े कर दिए ऊपर का हिस्सा राहु व नीचे का केतु कहलाया तो राहुकाल वह समय है जिसमे अमृत मिलना तो देवताओं को था लेकिन असुर को भी मिल गया | इस समय किये गए शुभ कार्य या तो पूरे नहीं होते या व्यवधान आते हैं इसे टाल ही दिया जाना चाहिए | रोजाना के कार्य तो नियमित करें किन्तु शुभ कार्य को इस समय नहीं करने का अनुभव मैंने व मेरे पास पढने आने वालों ने सभी ने किया है , आप भी अनुभव कर साझा करें |

प्रतिदिन राहुकाल का समय कब से कब तक होता है यह जानने के लिए उस दिन का सूर्योदय व सूर्यास्त का समय नोट करें सूर्योदय से सूर्यास्त की अवधि को दिनमान एवं सूर्यास्त से सूर्योदय की अवधि को रात्रिमान कहते हैं | रात्रिमान की अवधि में राहुकाल नही होता है | अब दिनमान के आठ भाग करलें , उस अवधि में आठ का भाग देवें प्रत्येक भाग की अवधि निकल आएगी नोट करके रखलें | याद रखने के लिए निम्न लाइन को याद करलें -


X        Mother   Saw   Father   Wearing   The   Turban   on   Sunday
1     2             3          4               5                 6         7                        8

X दिनमान के पहले भाग में राहुकाल नही होता है
Mo = सोमवार ,  Sa = शनिवार ,   F = शुक्रवार ,  We = बुधवार ,
 Th = गुरुवार , Tu =  मंगलवार ,    Su = रविवार    को मानलें

अर्थात दिनमान के दूसरे भाग की अवधि में सोमवार को , तीसरे भाग की अवधि में शनिवार को , चोथे भाग की अवधि में शुक्रवार को , पांचवे भाग की अवधि में बुधवार को , छठे भाग की अवधि में गुरुवार को , सातवे भाग की अवधि में मंगलवार को , आठवे भाग की अवधि में रविवार को राहुकाल होता है | इसे निम्न उदाहरण से समझे -

मानलो सूर्योदय सुबह 6 बजे व सूर्यास्त शाम 6 बजे है तो दिनमान की अवधि 12 घंटे की हुई इसमे आठ का भाग दिया तो एक भाग की अवधि एक घंटा तीस मिनिट की हुई इसको सूर्योदय में जोड़ते हुए आठों भाग की अलग अलग अवधि जान लेंगें जैसे

पहला भाग सुबह 6 बजे ( सूर्योदय ) से 7 - 30 तक इस अवधि में भी राहुकाल नही होता है |
दसरा भाग सुबह 7 -30 से 9 बजे तक सोमवार को राहुकाल रहेगा |
तीसरा भाग सुबह 9 से 10 -30  तक शनिवार को राहुकाल रहेगा | 
चोथा भाग सुबह 10 - 30 से दोपहर 12 बजे तक शुक्रवार को राहुकाल रहेगा |
पांचवा भाग दोपहर 12 बजे से 1 -30 तक बुधवार को राहुकाल रहेगा |
छठा भाग दोपहर 1 -30 से 3 बजे तक गुरुवार को राहुकाल रहेगा |
सातवाँ भाग दोपहर 3 बजे से 4 - 30 तक मंगलवार को राहुकाल रहेगा |
आठवां भाग शाम 4 - 30 से 6 बजे ( सूर्यास्त ) तक रविवार को राहुकाल रहेगा |

ये एक उदाहरण है जबकि सूर्योदय सुबह 6 बजे व सूर्यास्त शाम 6 बजे हो रहा हो | अक्सर कई बार लोग गलती से उपरोक्त समयावधि को ही राहुकाल मान लेते है ये गलत है सर्दियों व गर्मियों में सूर्योदय व सूर्यास्त का समय अलग हो जाता है तो राहुकाल की अवधि में भी आंशिक परिवर्तन  होगा | ध्यान रखें |

समाचारों के माध्यम से पता चला था कि देहली में रविवार को शाम को 4 बजे "" सिग्नेचर ब्रिज "" का माननीय मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल उद्घाटन करेंगे | इस समय को जानकर मुझे तुरंत ही राहुकाल याद आ गया , सोचा कि इस उद्घाटन समारोह में जरुर कुछ न कुछ अप्रिय घटेगा | बाद में पता चला कि उस इलाके के सांसद श्री मनोज तिवारी जी भी उद्घाटन के स्थल पर मौजूद रहेंगे | राहुकाल की अवधि ( लगभग शाम 4 -15 से 5 - 45 तक ) भी इस दौरान रहेगी मुझे अरुचिकर सा लगने लगा कि उस स्थल पर किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घट जाये | दो अलग अलग विचारधारा  के लोग वंहा रहेंगे | ये दोनों दलों में ही आपस में छत्तीस का आंकड़ा है , राहुकाल अपना कार्य अवश्य करेगा |

( सिग्नेचर ब्रिज )
उद्घाटन समारोह के दौरान क्या क्या घटनाएँ घटी इसे आप इन्टरनेट के द्वारा मेन स्ट्रीम मीडिया / सोशल मीडिया के माध्यम से जाने , चूँकि मै किसी भी राजनीतिक दल से जुडा हुआ नही हूँ इसलिए इस विषय पर कोई टिप्पणी उचित नही मानता आप तो "राहुकाल" को जाने और अपने जीवन में इस  समय में किये गये शुभ कार्यों का अनुभव लेते हुए अपने अनुभवों को जनहितार्थ साझा करें |
राहुकाल को जानने / अनुभव के लिए मेरे पूर्व आर्टिकल को निम्न लिंक पर भी पढ़ सकते है -

राहुकाल में चुनाव आयोग का ई.वी.एम चैलेंज -

 


( इस फेसबुक पेज पर सभी आर्टिकल नई जानकारी के लिए पढ़ें , यदि पसंद आयें तो लाइक व शेयर करें )

शनिवार, 4 अगस्त 2018

परिवर्तन और प्रगतिशीलता

रोजगार में अधिक लाभ हेतु कम्पनी बदलने के सन्दर्भ में -                            प्रथम भाग 


बेरोजगारी आज भारत की ही नही पूरे विश्व के सभी देशों की समस्या है | जिनके पास रोजगार होता है वो ये चाहते हैं कि जीवन में इससे भी बेहतर कुछ किया जा सकता है | कर्म ही सबसे महत्वपूर्ण है तो इसके लिए उन्हें अपने कर्म में अच्छे प्रयास व कठोर मेहनत करके कुछ तो परिवर्तन करना ही पड़ेगा , कहते भी हैं कि - " परिवर्तन ही प्रगतिशीलता की निशानी है | "

मेरा बेटा जो कि वर्तमान में एक अन्तरराष्ट्रीय कम्पनी बैंगलोर ( कर्नाटक ) में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जिसे अच्छा वेतन व प्रमोशन , मान सम्मान आदि भी मिल रहा है लेकिन फिर भी कुछ और बेहतर करने की ललक ने उसे दीवाना बना रखा है , हर समय कुछ नया सीखता ही रहता है - कुछ बेहतर करने के लिए यानि "परिवर्तन" | उसे नीदरलैंड से भी एक जॉब के लिए ऑफर मिल रही थी तो वह मुझसे ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाह रहा था कि मै वहाँ जा पाउँगा या नहीं ? जाऊंगा तो क्या मेरे लिए यह लाभप्रद रहेगा ? मेरे अनुभव रहे हैं कि आपके चाहने से कभी कुछ नही होता आप सिर्फ कर्म कर सकते हैं फल देना ईश्वर के हाथ में होता है उसने अपना कर्म किया जिसकी वजह से ऑफर तो मिल ही गया लेकिन वह नीदरलैंड जा सकेगा या नहीं और वहाँ जाना उसके लिए लाभप्रद भी होगा या नही ? हम सिर्फ कर्म ही कर सकते हैं फल तो परमात्मा को ही देने होते हैं | इसको ज्योतिष के माध्यम से भी अच्छे से जाना जा सकता है |

उसका प्रश्न था - मुझे नीदरलैंड से जॉब का ऑफ़र आया है , क्या वो मेरे लिए लाभप्रद रहेगा ?




इस प्रश्न के उत्तर को जानने से पहले प्रश्न को गहराई से समझना होगा फिर उन सभी का गहनता से अध्ययन करने के बाद ही परिणाम बताये जाये तो सटीकता बढ़ जाती है | इस प्रश्न में कुछ छुपे हुए प्रश्न भी हैं जैसे क्या प्रश्नकर्ता व नियोक्ता के बीच तालमेल (एग्रीमेंट) हो पायेगा ? जॉब मिल पायेगी ? क्या वर्तमान घर व कार्यस्थल छूट जायेगा ? वीजा मिल पायेगा या नही ? विदेश यात्रा हो पायेगी ? इच्छानुसार वेतन मिलेगा ? आदि आदि |

नियोक्ता ने मेरे बेटे का इंटरव्यू ले लिया था उनकी तरफ से " हाँ " मिल चुकी थी अब जॉब करने या ना करने की स्वीकृति बेटे को देनी थी इसलिए उसने मुझसे ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाहा था , देखते है कि ईश्वर को क्या मंजूर है ?

मेरे द्वारा दिया गया प्रश्न दिनांक 20 जुलाई 2018 को दोपहर 15-13-56 बजे बैंगलोर में देखा गया जिसकी कुंडली /भावों /ग्रहों आदि का विवरण निम्नानुसार है -          




* रूलिंग ग्रह :
            लग्न --    मंगल        शनि          राहू           गुरु      
            चन्द्र --     बुध         चन्द्र          गुरु           राहू
            वार स्वामी -- शुक्र
* वर्तमान दशा :   राहू  8-4-2031 तक
* वर्तमान भुक्ति : शनि 20-3-2021 तक


* प्रश्नकर्ता का प्रश्न जांचें :
चन्द्र खुद प्रथम भाव (धन/परिवार भाव से बारवें) में है उसकी एक राशि कर्क ग्यारवें भाव (इच्छापूर्ति भाव) में है चन्द्रमा राहू के नक्षत्र में है व प्रथम भाव का उप नक्षत्र भी राहू है | राहू स्वयं दसवें भाव (कार्यस्थल) में स्थित है | राहू चन्द्र की राशि व वक्री शनि के नक्षत्र में है शनि का तीसरे भाव में स्थित होना व उसकी एक राशि पांचवें भाव (नियोक्ता की इच्छापूर्ति) व दूसरी छठे भाव (नियोक्ता का व्यय भाव ) में है | अर्थात हम कह सकते हैं कि प्रश्नकर्ता का प्रश्न सही है जिसकी पुष्टि भी हो रही है |


* क्या मेरे बेटे का नियोक्ता से तालमेल (एग्रीमेंट) हो जायेगा ? चाहे नियोक्ता की तरफ से तो इंटरव्यू लेने के बाद " हाँ " हो चुकी है लेकिन इसके लिए कुण्डली के तीसरे व नोवें भाव के उप नक्षत्र को देखना होगा दोनों का उप नक्षत्र राहू है जो कि दसवें भाव में ही है , राहू चन्द्रमा की राशि में जो कि ग्यारवे भाव में है लेकिन राहू वक्री शनि के नक्षत्र में स्थित है तथा तीसरे भाव में ही है इसकी राशियाँ भी पांचवें व छठे भाव में है इतनी सकारात्मकता के बाद भी सिर्फ शनि के वक्री होने के कारण नकारात्मकता में परिणाम बदल गये | अत : हम कह सकते है दोनों का तालमेल (एग्रीमेंट) नही होगा | तीसरा भाव वीजा का भी है वह नहीं मिल पायेगा तथा घर भी नही छूट पायेगा | 

* छठे भाव (नौकरी) का अध्ययन  छठे भाव का उप नक्षत्र स्वामी बुध है वह खुद ग्यारवे भाव में ही है तथा इसकी एक राशि भी दसवे भाव में है ये तो सकारात्मक है परन्तु दूसरी राशि कन्या पहले भाव में अर्थात धन भाव से बारवे भाव में है तथा बुध स्वयं अपने ही नक्षत्र में होने के कारण इसका उप नक्षत्र ही नक्षत्र के परिणाम देगा जो वक्री शनि है इसने सारी सकारात्मकता को ही समाप्त कर दिया |

* ग्यारवे भाव का अध्ययन (इच्छापूर्ति) इसका उप नक्षत्र भी राहू है राहू का अध्ययन हम पूर्व में कर चुके हैं | वक्री शनि के नक्षत्र में होने के कारण इच्छापूर्ति नही होने देगा |

* दशा / भुक्ति स्वामी का अध्ययन राहू की दशा 2031 तक है राहू के वक्री शनि के नक्षत्र में होने व भुक्ति स्वामी भी वक्री शनि होने के कारण नकारात्मकता उत्पन्न हो गयी है |

इस प्रकार संक्षेप में पूरे विश्लेषण को देखें तो बेटा नीदरलैंड वाली जॉब के लिए नहीं जा  सकेगा | यह स्वीकार करना होगा प्रमुख कारण वेतन (धन) व परिवार ही रहेगा चाहे वर्तमान वेतन से दुगना ही मिल रहा था क्योंकि छठे भाव का उप नक्षत्र स्वामी का धन भाव से कोई सम्बन्ध भी नहीं बन पा रहा |

ज्योतिष का यह भी एक सकारात्मक उपयोग है जिससे इतना बेहतरीन मार्ग दर्शन प्राप्त किया जा सकता है | कीमती समय व धन के नुकसान से बचा जा सकता है |

रोजगार में अधिक लाभ हेतु कम्पनी बदलने के सन्दर्भ में -           दूसरे भाग में और अधिक जानेंगे 

मातृत्व सुख और ज्योतिष

* ज्योतिष विज्ञान का मेडिकल विज्ञान में उपयोग मेरे एक रिश्तेदार के पडौसी की पुत्र वधु विवाहोपरान्त पहली बार गर्भवती हुई तो घर में एक खुश...